Ekmukhi Hanuman Kavacham In Hindi | एकमुखी हनुमान कवच

एकमुखी हनुमान कवच ( Ekmukhi Hanuman Kavacham In Hindi ) हनुमान जी को प्रसन्न करने का एक सिद्ध कवच मन्त्र है। पूरी श्रद्धा के साथ एकमुखी हनुमान कवच का पाठ करें और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें।

Ekmukhi Hanuman Kavacham | एकमुखी हनुमान कवच
Ekmukhi Hanuman Kavacham In Hindi | एकमुखी हनुमान कवच

Ekmukhi Hanuman Kavacham In Hindi | एकमुखी हनुमान कवच

एकमुखी हनुमान कवचम 


एकदा सुखमासीनं शंकरं लोकशंकरम् |
प्रपच्छ गिरिजा कान्तं कर्पूरधवलं शिवं ||
|| पार्वत्युवाचः ||
भगवान देवदेवेश लोकनाथ जगत्प्रभो,
शोकाकुलानां लोकानां केन रक्षा भवेद्भव ||
संग्रामे संकटे घोरे भूत प्रेतादि के भये |
दुःख दावाग्नि संतप्तचेतसाँ दुःखभागिनाम् ||
|| महादेव उवाचः ||
श्रणु देवी प्रवक्ष्यामि लोकानाँ हितकाम्यया |
विभीषणाय रामेण प्रेम्णाँ दत्तं च यत्पुरा ||
कवच कपिनाथस्य वायुपुत्रस्य धीमतः |
गुह्यं तत्ते प्रवक्ष्यामि विशेषाच्छणु सुन्दरी ||
|| विनियोगः ||
ॐ अस्य श्री हनुमान कवच स्तोत्र मन्त्रस्य श्री रामचंद्र
ऋषिः श्री वीरो हनुमान परमात्माँ देवता, अनुष्टुप छन्दः,
मारुतात्मज इति बीजम, अंजनीसुनुरिति शक्तिः, लक्ष्मण
प्राणदाता इति जीवः,श्रीराम भक्ति रिति कवचम,
लंकाप्रदाहक इति कीलकम मम सकल कार्य सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ||

।। मंत्र ।।
ॐ ऐं श्रीं ह्रांँ ह्रीं हूं हैं ह्वौं ह्वं: ।
|| करन्यासः ||
ॐ ह्राँ अंगुष्ठाभ्याँ नमः |
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्याँ नमः |
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्याँ नमः |
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्याँ नमः |
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्याँ नमः |
ॐ ह्रंः करतल करपृष्ठाभ्याँ नमः |
।। ह्रदयन्यास ।।
ॐ अंजनी सूतवे नमः हृदयाय नमः
ॐ रुद्रमूर्तये नमः, शिरसे स्वाहा ।
ॐ वतात्मजाय नमः, शिखायं वषटं ।
ॐ रामभक्तिरताय नमः, कवचाय हुम ।
ॐ वज्र कवचाय नमः, नेत्रत्याय वौषट् ।
ॐ ब्राह्मस्त्र निवारणाय नमः, अस्त्राय फट् ।
ॐ धयायेद बालदिवाकर धुतिनिभं देवारिदर्पांपहं ।
देवेन्द्र प्रमुख प्रशस्तयशसं देदीप्यमानं ऋचा ।।
सुग्रीववादि समस्त वानरयुतं सुव्यत्कतत्वप्रियं ।
संरक्तारूण लोचनं पवनजं पीतांबरालकतम ।।
उधन्मार्तण्ड कोटि प्रकट रुचि युतं चारूबीरासनस्थं ।
मोजीं यज्ञोपवीताभरण रुचि शिखा शोभितं कुण्डलाढयम ।।
भक्तानामिष्टदन्नप्रणतमुंजनं वेदनादप्रमोदं ध्यायेददेवं विधेय प्लवगकुलपतिं गोष्पदीभूतवर्धिम ।
वज्रांँड़् पिंगकेशाढ्यं स्वर्णकुंडल मण्डितम ।
उधदक्षिण दोर्दण्डं हनुमंत विचिन्तये ।।
स्फटिकाभं स्वर्णकांति द्विभुजं च कृताज्जलिम ।
कुण्डलद्वय संशोभि मुखाम्भोजं हरिं भजे ।।
।। हनुमान मंत्र ।।
ॐ नमो भगवते हनुमदाख्य रुद्राय सर्व दुष्ट जन मुख स्तम्भनं कुरु कुरु ॐ ह्रांँ ह्रीं हूंँ ठं ठं ठं फट स्वाहा ।
ॐ नमो हनुमते शोभिताननाय यशोलंकृताय अंजनी गर्भ संभूताय रामलक्ष्मणनंदकाय कपि सैन्य प्रकाशय पर्वतात्पाटनाय सुग्रीववसाह्म करणाय परोच्चाटनाय कुमार ब्रह्मचर्चाय गम्भीर शब्दोदयाय ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रूंँ सर्व दुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा ।
ॐ नमो हनुमते सर्व ग्राहन्भूत भविष्यद्वर्तमान दूरस्थ समीप स्थान छिंधि छिंधि भिंधि भिंधि सर्व काल दुष्ट बुद्धिमुच्चाटयोच्चाटय परबलान क्षोभय क्षोभय मम सर्व कार्याणि साधय साधय ॐ ह्राँ ह्रीं हूंँ फट देहि ॐ शिव सिद्धि ॐ ह्राँ ह्रीं हूंँ स्वाहा ।
ॐ नमो हनुमते पर कृत यंत्र मंत्र पराहङ्कार भूत प्रेत पिशाच पर दृष्टि सर्व तर्जन चेटक विधा सर्व ग्रह भयं निवारय निवारय, वध वध पच पच दल दल विलय विलय सर्वाणिकुयन्त्राणि कुट्टय कुट्टय, ॐ ह्राँ ह्रीं हूंँ फट स्वाहा ।
ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि सर्व ग्रह भूतानाँ शाकिनी डाकिनीनां विषमदुष्टानाँ सर्वेषामा कर्षय कर्षय, मर्दय मर्दय, छेदय – छेदय, मृत्यून मारय मारय, शोषय शोषय, प्रज्वल प्रज्वल, भूत मंडल, पिशाच मंडल, निरसनाय भूत ज्वर, प्रेत ज्वर, चातुर्थिक ज्वर, विष्णु ज्वर, महेश ज्वर, छिन्धि छिन्धि, भिंधि भिंधि, अक्षि शूल, पक्ष शूल, शिरोभ्यंतर शूल, गुल्म शूल, पित्त शूल, ब्रह्म राक्षस कुल पिशाच कुलच्छेदनं कुरु प्रबल नाग कुल ।
विषं निर्विषं कुरु कुरु झटति झटति, ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रूंँ फट घे घे स्वाहा ।

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तथ्यसूत्र – उइकिपिडिया

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