शिवलिंग पर वेलपत्र कैसे चढ़ाया जाता है (Shivling pe bel patra kaise chadaye) – क्यों चढ़ाया जाता है ? कया है शिवलिंग पर वेलपत्र चढ़ाने का सही विधि ? आज आप जानेंगे इस पोस्ट में। तो चलिए शुरू करते है।
भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
भगवान भोलेनाथ की पूजा में बेल पत्र या बिल्व पत्र का विशेष महत्व है। शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र या बिल्व पत्र भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए उपयोग की जाने वाली छह दिव्य वस्तुओं में से एक है। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते है। सनातन वैदिक धर्म अनुसार बेलपत्र का त्रिपत्र रूप भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल का प्रतीक है। यह भगवान भोलेनाथ की त्रिनेत्र का भी प्रतिनिधित्व करते है। हिंदू पौराणिक कथा अनुसार, बेल पत्र ब्रह्मा, विष्णु, महेश का भी प्रतिक है । इसीलिए बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।
बेलपत्र शिव को इतना प्रिय क्यों है – जानिए बेलबृक्ष की उत्पत्ति
सनातन धर्म के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। बेलपत्र के बिना भग्वान भोलेनाथ की पूजा सम्पन्न नहीं होती है। बिशेषकर श्रावण महीना में बेलपत्र के बिना शिव पूजा नहीं करना चाहिए। भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करने से शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन कया आप जानते है शिव के प्रिय बेलपत्र की उत्पत्ति के बारे में !
बेलपत्र की उत्पत्ति के बारे में स्कंदपुराण में एक बहुत ही रोचक कहानी है। पौराणिक कथा अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने अपने माथे से पसीना पोंछा तो उनके पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिर गईं। वहीं से बेल वृक्ष की उत्पत्ति होती है।
माना जाता है बेल वृक्ष की जड़ गिरिजा, गुड़ी माहेश्वरी, शाखाओं में दाक्षायिनी, पत्तों में पार्वती और फूलों में गौरी का निवास । आयुर्वेद के अनुसार, बेलपत्र में ऐसे हर्बल गुण होते हैं जो किसी भी प्रकार के जहर को बेअसर कर सकते हैं।
यह भी माना जाता है कि जब शिव ने समुद्र मंथन से निकल कर विष पान कर लिया था और विष के कारण उनका रंग नीला हो गया था, तब बिष के प्रभाव को सीमित करने के लिए बेलपत्र का उपयोग किया गया था।
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र या बेल पत्र का प्रयोग एक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। जो भक्त सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ को अखंड बेलपत्र अर्पित करते हैं, भगवान भोलेनाथ उन्हें मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। तो आइये जानते हैं (Shivling pe bel patra kaise chadaye janiye sahi vidhi) .
- १. अखंडित बेल पत्र – भगवान शिव को अखंडित बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते है। इसीलिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखें की बेलपत्र खंडित न हो।
- २. बेलपत्र ताजी होनी चाहिए – शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए बेलपत्र साफ और ताजा होना आबश्यक। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले सुनिश्चित करें कि बेलपत्र में कोई निशान या काट न हो। भगवान शिव को अर्पित करने से पहले उन्हें ठीक से धो लेना चाहिए।
- ३. बेलपत्र तोड़ने का नियम – बेलपत्र तोड़ने समय यह बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए। आप किसी भी दिन बेलपत्र तोड़ नहीं सकते। सबसे पहले आप बेलबृक्ष को प्रणाम करें फिर बेलपत्र तोड़े। मान्यता के अनुसार अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना नहीं चाहिए। अगर इन दिन आप बेलपत्र भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते है तो आपको अगले दिन बेलपत्र तोड़के रखना चाहिए।
- ४. मंत्रोच्चारन के साथ अर्पित करें – “ओम नमः शिवाय” का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं। इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव के साथ एक शक्तिशाली संबंध बनाने में मदद मिल सकती है।
- ५. बेलपत्र कितने संख्या अर्पित करें – मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ को विषम संख्या में बेलपत्र चढ़ाया जाता है। ३, ५, ११, २१, १०८ बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। लेकिन अगर आप सच्चे मन से १ अखंड बेलपत्र भी शिवलिंग पर अर्पित करते है तो भोलेनाथ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है।
- ६. बेलपत्र का किस भाग शिवलिंग पर अर्पित करें – भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बेलपत्र के पत्तों का चिकना भाग भगवान लिंग से स्पर्श कराकर चढ़ाना चाहिए। पत्ते का शीर्ष आपकी ओर होना चाहिए, और डंठल शिव लिंगम की ओर होना चाहिए।
- 7. बेलपत्र कैसे अर्पित करें शिवलिंग पर – बेलपत्र को अनामिका, अंगूठे और मध्यमा उंगली से पकड़कर शिवलिंग पर अर्पित करें। बेलपत्र का बीच वाला पत्ता शिवलिंग पर चढ़ाना है। केवल बेलपत्र न सौंपें। बेलपत्र के साथ जल भी अर्पित करते रहें।
- 8. शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय शिव बिल्वाष्टकम स्तोत्रम पाठ करना चाहिए ।
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उपसंहार – आशा है आपको आज की पोस्ट (Shivling pe bel patra kaise chadaye janiye sahi vidhi) से लाभ हुआ होगा। भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाएं। यदि आप विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते है तो आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाते है, आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होते है । यदि आपको इस लेख से लाभ हुआ है, तो कृपया एक कमेंट कर हमें प्रोत्साहित करें।
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