नमामी शमीशान निर्वाणरूपं – Shiv Rudrashtakam Meaning With Hindi – शिव रुद्राष्टकम् स्तोत्र इतना शक्तिशाली है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिव रुद्राष्टकम् का पाठ करने से मनुष्य का जीवन आनंदमय रहता है तथा मनुष्य के मनोबल और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
रुद्राष्टकम् का अर्थ है रुद्र + अष्टक।
रुद्र अर्थात भगवान शिव
अष्टक का अर्थ है आठ छंदों का समूह।
रुद्राष्टकम् स्तोत्र अर्थात भगवान शिव की स्तुति हेतु आठ श्लोक।
Shiv Rudrashtakam Stotra In Hindi
रुद्राष्टकम् स्तोत्र नमामी शमीशान निर्वाणरूपं विभुंव्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं । निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं || 1 || निराकार ॐकारमूलं तुरीयं गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसार पारं नतोऽहं || 2 || षाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि चारुगंगा लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा || 3 || चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं । मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि || 4 || प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं। त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं || 5 || कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि। चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि || 6 || नवावत् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणां । न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं || 7 || न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं। जराजन्मदुःखौऽघतातप्यमानं प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो || 8 || रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये, ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।। ।। श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ।
पंद्रहवीं शताब्दी में श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव की स्तुति में रुद्राष्टकम् स्तोत्र (Rudrashtakam Meaning With Hindi) की रचना की। इस स्तोत्र को तुलसीदास कृत शिव स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है। शिव स्तुति को शिव रुद्राष्टकम् के नाम से जाना जाता है।
Shiv Rudrashtakam Meaning With Hindi
नमामी शमीशान निर्वाणरूपं विभुंव्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं । निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं || 1 || अर्थ - हे मोक्ष को प्रदान करने वाले, हे विभु, व्यापक ब्रह्म, और वेदों के स्वरुप, ईशानदिशा के भगवान मैं आपको प्रणाम करता हूं । निज स्वरूप में स्थित, जो सभी गुणों से रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप जो संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है, मैं उनका भजन करता हूँ।
निराकार ॐकारमूलं तुरीयं गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसार पारं नतोऽहं || 2 || अर्थ - निराकार, जो ॐ शब्द के मूल है, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत) वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों के भी स्वामी हैं, कैलाशपति, अनंत रुपी, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नतमस्तक होकर नमन करता हूँ ।
षाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि चारुगंगा लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा || 3 || अर्थ – जिनका शरीर हिमालय के समान गौरवर्ण तथा गंभीर है, जो चिंतन व ध्यान मुद्रा में है, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेव के जितना ज्योति एवं शोभा है, जिनकी जटाओं में माँ गंगा विराजमान है, जिनके ललाट पर चंद्रमा सुशोभित है, जिनके गले में सर्प सुशोभित है।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं । मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि || 4 || अर्थ – जिनके कानो में कुण्डल शोभित है, जिनकी सुन्दर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जिनका मुख प्रसन्न है, जो नीलकण्ठ है, जो दयालु हैं, जिन्होंने ब्याघ्र चर्म का वस्त्र धारण किए हुए हैं, जिनके गले में मुण्डमाल, हे प्रिय शंकर भगवान, सबके नाथ मैं आपकी भजन करता हूँ।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं। त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं || 5 || अर्थ – जो सबसे प्रचंड है, जो परिपक्व साहसी हैं, जो श्रेष्ठ हैं, जो अखंड है, जो अजन्मे हैं, जो सहस्त्र सूर्य के प्रकाश के समान हैं, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं, जिनके पास त्रिशूल हैं जिनका कोई शुरुआत या अंत नही है, जिनमे किसी भी मूल का नाश करने की शक्ति हैं ऐसे त्रिशूल धारी माता पार्वती के पति जो प्रेम से जीते जा सकते हैं उन्हें मैं भजन करता हूँ |
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि। चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि || 6 || अर्थ – जो काल से परे हैं, जो कल्याणकारी हैं, जो कल्प का विनाशक हैं, जो हमेशा आशीर्वाद देते है और धर्म का साथ देते हैं , जो अधर्मी का नाश करते हैं, जो मोह-माया का नाश करते हैं, जो मुझसे प्रसन्न रहे ऐसे भगवान जो कामदेव नाशी हैं ऐसे प्रभु का मैं ध्यान करता हूँ |
नवावत् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणां । न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं || 7 || अर्थ – जो यथावत नहीं हैं, ऐसे उमा नाथ के चरणों में कमल वन्दन करता हैं ऐसे भगवान को पूरे लोक के नर नारी पूजते हैं, जो सुख हैं, जो शांति हैं, जो सारे दुखो का नाश करते हैं, जो प्रभु सभी जगह विद्यमान हैं, आप मुझ पर प्रसन्न होइए |
न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं। जराजन्मदुःखौऽघतातप्यमानं प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो || 8 || अर्थ – हे प्रभु! ना योग, न जप न ही पूजा करना जानता हूं, हे देव मैं आपके सामने अपना नत मस्तक हूं , सभी संसारिक कष्टों, दुःख दर्द से मुझे रक्षा करे, मैं आपसे अपने बुढ़ापे और जन्म के सभी दुखों का नाश करने की प्रार्थना करता हूँ। मैं सदा शिव शम्भु आपको हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ |
- संबंधित पोस्ट – शिव पंचाक्षर स्तोत्र PDF
- शिव बिल्वाष्टकम स्तोत्रम
- शिव रुद्राष्टकम् अर्थ सहित
- अर्थ सहित शिवाष्टकम स्तोत्रम
- शंकर भगवान की आरती लिखित में – ॐ जय शिव ओंकारा
- शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में
- श्री शिव चालीसा
- शिव स्तुति – आशुतोष शशाँक शेखर
- शिवलिंग पर वेलपत्र कैसे चढ़ाया जाता है
- शिव जी की अष्टोत्तर शतनाम
- 52 अक्षर का महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र
- सावन सोमवार व्रत कथा PDF
- सोमवार व्रत कब से शुरू करे – सावन सोमवार महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा बिधि, मंत्र
- महाशिवरात्रि व्रत कथा
- सोलह सोमवार व्रत विधि, व्रत कथा PDF
[FREE Download PDF] Rudrashtakam Stotram In Hindi
आपकी सुबिधा के लिए रुद्राष्टकम स्तोत्रम (Rudrashtakam Meaning With Hindi) दिया गया है। आप आसानी से डाऊनलोड बटन पर क्लिक करके प्रिंट ले सकते हैं और ऑफलाइन पाठ कर सकते है।
Rudrashtakam Stotram Music Video
Also Read – All Language हनुमान चालीसा | पंचमुखी हनुमान कवच मंत्र | हनुमान गायत्री मंत्र | हनुमान साठिका पाठ | हनुमान बंदी मोचन स्तोत्र | हनुमान जंजीरा मंत्र | हनुमान जी के 1008 नाम | हनुमान बाहुक पाठ | हनुमान पूजा विधि | संकट मोचन हनुमान अष्टक | सम्पूर्ण बजरंग बाण | 11 din हनुमान चालीसा संकल्प
उपसंहार – आशा है आपको आज की पोस्ट (Rudrashtakam Meaning With Hindi) से लाभ हुआ होगा। भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाएं। यदि आप विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते है तो आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाते है, आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होते है । यदि आपको इस लेख से लाभ हुआ है, तो कृपया एक कमेंट कर हमें प्रोत्साहित करें।
इसी तरह और भि धार्मिक तथ्य जानने के लिए नीचे क्लिक करें
और पढ़िए
- Navgrah Chalisa Lyrics In English PDF
- Navgrah Chalisa In Hindi PDF | नवग्रह चालीसा हिन्दी में पढ़ें
- Shukrawar Santoshi Mata Vrat & Katha – माँ संतोषी व्रत और कथा
- Sita Ram Sita Ram Bhajan Lyrics Hindi | सीता राम सीता राम भजन लिरिक्स हिंदी
- रामायण चौपाई | Ramayan Choupai In Hindi
- Hanuman Bhajan Lyrics In Hindi | हनुमान भजन लिरिक्स – बाल समय रवि भक्ष लियो
- Ekmukhi Hanuman Kavacham In Hindi | एकमुखी हनुमान कवच
- नरसिंह चालीसा | Narasimha Chalisa n hindi pdf
- 2024 Narasimha Chaturdashi Kab Hai | नरसिंह जयंती 2024
- 2024 Radha Ashtami Kab Hai | राधा अष्टमी २०२४
- Navratri 2024 Date And Time In Hindi | २०२४ नवरात्रि पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त
- Mahalaya 2024 Date and Time | 2024 মহালয়া কবে