शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav stotram In Hindi) – जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् – इतना शक्तिशाली है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जो लोग इस स्तोत्र का पाठ करेंगे उनका आत्मविश्वास मजबूत हो जाएगा। चेहरा दीप्तमय हो उठेगा।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव का परम भक्त रावण, दक्षिण से लंबी यात्रा के बाद कैलाश आया और भगवान शंकर के भजन स्तुति गाने लगा। इस स्तुति में 1008 श्लोक हैं, जिसकी रचना रावण ने तुरंत की थी।
सावन के महीना में यह स्तुति पाठ बहुत ही शुभ फलदायी होता है। हो सके तो सावन सोमवार प्रातः स्नान आदि के बाद पाठ कर सकते है। जैसे की आप जानते है सोमवार भगवान शिव जी को समर्पित है। इसीलिए सोमवार शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav stotram In Hindi) पाठ करने से शिव जी प्रसन्न हो जाते है। तो चलिए शुरू करते है शिव तांडव स्तोत्र।
Shiv Tandav stotram In Hindi | शिव तांडव स्तोत्र
शिव तांडव स्तोत्र जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे । कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥ जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे । मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः । भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् । सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके । धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥ नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत् कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः । निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥ प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् । स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥ अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् । स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
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Shiv Tandav stotram In Hindi | शिव तांडव स्तोत्र
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् । धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥ दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर् गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः । तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥ कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् । विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥ निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः । तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥ निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः । तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥ प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना । विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥ इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् । हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥ पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे । तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥ इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम्स म्पूर्णम्
शिव तांडव पाठ करने से क्या लाभ होता है?
शिव तांडव (Shiv Tandav stotram In Hindi) का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो लोग इस स्तोत्र का पाठ करते हैं उनका आत्मविश्वास मजबूत होता है। चेहरे पर तेज आभा प्रकाश होता है। सावन के महीने में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ बहुत शुभ माना जाता है। सावन भगवान शिव का पसंदीदा महीना है। भगवान शंकर के भक्त इस महीने में शाकाहारी भोजन करते हैं। और शिव की पूजा आराधना में लीन होते है।
शिव तांडव स्तोत्र का रचयिता कौन है ?
शिव तांडव स्तोत्र का रचयिता है लंकाधिपति रावण, जो शिव जी का एक परम भक्त है।
शिव तांडव का जाप विधि कया है ?
शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav stotram In Hindi) का पाठ करने से पहले निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए।
- प्रातः स्नान करने बाद स्वच्छ बस्त्र धारण करे।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- शिवलिंगा जल अभिषेक करें।
- शुद्ध घी का दिया प्रज्वलित करें।
- बेलपत्र, फूल, माला , धुप, नैबेद्य अर्पित करें।
- शिव जी का ध्यान करें।
- अब शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में भगवान् शंकर का कर्पूर से आरती करें।
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उपसंहार –आशा है आपको आज की पोस्ट (Shiv Tandav stotram In Hindi) से लाभ हुआ होगा। भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाएं। यदि आप विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करेंगे तो आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी, आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। यदि आपको इस लेख से लाभ हुआ है, तो कृपया एक कमेंट कर हमें प्रोत्साहित करें।
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